May 4, 2025
मध्यप्रदेश में तबादलों पर लगी लगाम, अब मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना नहीं होगा ट्रांसफर
राज्य सरकार ने नई तबादला नीति की आधी रात को जारी की गाइडलाइन, जानिए क्या हैं बड़े बदलाव
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने रविवार देर रात नई तबादला नीति अधिसूचित कर दी। इसके तहत अब राज्य में किसी भी शासकीय अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण मुख्यमंत्री की पूर्वानुमति के बिना संभव नहीं होगा। यह प्रावधान 1 अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 तक प्रभावी रहेगा। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन सभी शासकीय विभागों के लिए अनिवार्य किया गया है।
CM की अनुमति अनिवार्य, कलेक्टरों को मिली राहत
नई ट्रांसफर पॉलिसी में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रांसफर के लिए सीएम की अनुमति जरूरी होगी। वहीं जिलों के भीतर तबादलों के लिए कलेक्टरों को अब प्रभारी मंत्रियों से "अनुमोदन" की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ "सहमति" लेना ही पर्याप्त होगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी और कलेक्टरों के अधिकार भी बरकरार रहेंगे।
60 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का हो सकता है ट्रांसफर
प्रदेश में इस समय करीब 6.06 लाख नियमित कर्मचारी हैं, जिनमें से लगभग 10% यानी 60 हजार से अधिक कर्मचारियों का तबादला 30 मई तक हो सकता है। नई नीति लागू होने के बाद तबादला प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू की जा सकती है।
कमज़ोर प्रदर्शन पर होगा प्रशासनिक तबादला
गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन कर्मचारियों या अधिकारियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, उनका तबादला प्रशासनिक आधार पर किया जाएगा। यह प्रक्रिया विभागीय समीक्षा और कामकाज के मूल्यांकन के आधार पर होगी।
29 अप्रैल को हुआ था नीति का प्रारूप पेश
गौरतलब है कि ट्रांसफर पॉलिसी का प्रारूप 29 अप्रैल को कैबिनेट बैठक में पेश किया गया था। पहले जिलों के सभी तबादलों के लिए प्रभारी मंत्री की अनुमति की बात थी, लेकिन अंतिम नीति में इसे बदलकर ‘सहमति’ कर दिया गया है।