Apr 21, 2025
पोप फ्रांसिस का निधन: 88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, डबल निमोनिया से थे पीड़ित
पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और डबल निमोनिया से जूझ रहे थे। पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी और जेसुइट ऑर्डर से आने वाले पहले पोप थे। उनका पूरा जीवन मानवता और ईश्वर की सेवा में समर्पित रहा। अब वेटिकन में 14 दिन का शोक मनाया जाएगा, जिसके बाद नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
वेटिकन ने की पुष्टि
पोप फ्रांसिस का सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को निधन हो गया। वेटिकन ने उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की। 88 वर्षीय पोप लंबे समय से बीमार थे और डबल निमोनिया से जूझ रहे थे। उन्होंने सुबह 7:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) वेटिकन सिटी स्थित अपने निवास कासा सांता मार्टा में अंतिम सांस ली।
पहले लैटिन अमेरिकी और जेसुइट ऑर्डर से बने पोप
पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। वे जेसुइट ऑर्डर से आने वाले पहले पोप भी थे। उनका जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में हुआ था। 1969 में उन्हें कैथोलिक पादरी नियुक्त किया गया था। पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद 13 मार्च 2013 को पोप सम्मेलन ने उन्हें पोप चुना। उन्होंने सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में अपना नाम 'फ्रांसिस' रखा।
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
पिछले कुछ वर्षों से पोप फ्रांसिस स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें फेफड़ों की पुरानी बीमारी थी। युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा हटा दिया गया था, जिससे उन्हें सांस की दिक्कत रहती थी। 2023 में भी उन्हें फेफड़ों के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
फरवरी से अस्पताल में थे भर्ती
14 फरवरी 2025 को उन्हें डबल निमोनिया के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब एक महीने से अधिक समय तक इलाज के बाद 24 मार्च को उन्हें छुट्टी मिली थी। अस्पताल से लौटने पर उन्होंने अपने निवास के बाहर एकत्रित लोगों को आशीर्वाद भी दिया था।
अब 14 दिन का शोक और नया पोप चुनाव
वेटिकन ने घोषणा की है कि पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब 14 दिनों का आधिकारिक शोक मनाया जाएगा। इस शोक अवधि के बाद कार्डिनल सम्मेलन में एकत्र होकर नए पोप का चुनाव करेंगे, जो मसीह के नए विकर के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
समर्पित रहा जीवन
वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने कहा, "पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित रहा। उन्होंने करुणा, सेवा और विश्वास की मिसाल कायम की है।"