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‘चाय की टपरी से न्याय की जंग’ – दहेज केस में फंसे युवक का अनोखा विरोध

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Jun 12, 2025

‘चाय की टपरी से न्याय की जंग’ – दहेज केस में फंसे युवक का अनोखा विरोध

राजस्थान के अंता में एक अनोखी चाय की टपरी सुर्खियों में है। ‘498ए टी कैफे’ नाम की इस दुकान पर हथकड़ी पहनकर चाय बेचने वाला युवक कृष्णकुमार धाकड़ (केके) अपनी जिंदगी की कड़वी सच्चाई को लोगों तक पहुंचा रहा है। पत्नी द्वारा दहेज प्रताड़ना के झूठे केस में फंसाए जाने के बाद केके ने आत्मसमर्पण की जगह विरोध का रास्ता चुना। यह टपरी अब सामाजिक बदलाव और पुरुष उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक बन चुकी है।

UPSC के सपने से चाय की टपरी तक

नीमच जिले के अठाना निवासी केके धाकड़ कभी UPSC की तैयारी में जुटे थे। शादी के बाद पत्नी के साथ मिलकर मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया, जो काफी सफल रहा। लेकिन पत्नी द्वारा धारा 498ए और 125 के तहत झूठे मुकदमे दर्ज कराए जाने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। अब वह अपनी कहानी को लोगों तक पहुंचाने के लिए चाय की टपरी चला रहे हैं।

498ए टी कैफे’ – विरोध का अनोखा मंच

अंता में चल रही केके की चाय की दुकान ‘498ए टी कैफे’ सामान्य टपरी नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का प्रतीक है। दुकान पर लगे बैनर जैसे “न्याय मिले तब तक चाय उबलेगी” और “चाय पर चर्चा – कितना खर्चा देना पड़ेगा” उनकी पीड़ा को बयां करते हैं। हथकड़ी, वरमाला और दूल्हे का सेहरा पहनकर चाय परोसना उनकी त्रासदी को दर्शाता है।

मधुमक्खी पालन से बर्बादी तक

2019 में पत्नी के साथ शुरू किया गया मधुमक्खी पालन का कारोबार इतना सफल रहा कि इसे राज्य स्तर पर सम्मान मिला। लेकिन 2022 में पत्नी के ससुराल छोड़ने और घरेलू हिंसा व खर्चे की मांग को लेकर मुकदमे दर्ज करने के बाद केके का सब कुछ ठप हो गया। इस झटके ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया।

हथकड़ी के साथ चाय, न्याय की पुकार

केके का कहना है कि झूठे केस ने उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से तोड़ दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह अपनी टपरी के जरिए कानून के दुरुपयोग और पुरुष उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह चाय की दुकान अब लोगों को जागरूक करने और उनकी कहानी सुनाने का जरिया बन चुकी है।

सामाजिक बदलाव का प्रतीक बनी टपरी

‘498ए टी कैफे’ अब सिर्फ चाय की दुकान नहीं, बल्कि सामाजिक विमर्श का एक मंच है। यह पुरुष उत्पीड़न, कानून के दुरुपयोग और सामाजिक अन्याय जैसे मुद्दों पर खुली चर्चा का केंद्र बन चुका है। केके की यह लड़ाई उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा है, जो झूठे केसों में फंसकर न्याय की राह तलाश रहे हैं।

Report By:
Monika