Jul 26, 2025
ओला का हाईटेक स्कूटर निकला 'तकनीकी झंझट', उपभोक्ता आयोग ने कंपनी को लौटाने का दिया आदेश–
1.78 लाख की रकम ब्याज सहित लौटाने के निर्देश, मानसिक कष्ट और मुकदमा व्यय का भी मिलेगा मुआवजा
भोपाल। बैंगलुरु की मशहूर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनी ओला इलेक्ट्रिक को भोपाल के एक उपभोक्ता से जुड़े मामले में उपभोक्ता आयोग ने तगड़ा झटका दिया है। उपभोक्ता द्वारा खरीदा गया ओला एस-1 प्रो स्कूटर बार-बार तकनीकी समस्याओं से जूझता रहा, जिसकी शिकायतों के बावजूद कंपनी की ओर से संतोषजनक समाधान नहीं मिला। इसे उपभोक्ता आयोग ने सेवा में स्पष्ट कमी मानते हुए कंपनी को वाहन वापस लेने और पूरी कीमत ब्याज सहित लौटाने का आदेश सुनाया है।
भोपाल जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय ने अपने आदेश में कहा कि उपभोक्ता को वाहन के बदले में 1,78,100 रुपये की पूरी राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटाई जाए। साथ ही मानसिक कष्ट के लिए 5,000 रुपये और वाद व्यय के लिए 3,000 रुपये अतिरिक्त दिए जाएं। यह राशि आदेश की प्राप्ति के दो माह के भीतर चुकाना अनिवार्य होगा।
ओला के दावों की हकीकत सामने आई
यह पूरा मामला उपभोक्ता आकाश साहू और उनकी पत्नी सुशीला थापा से जुड़ा है, जिन्होंने जुलाई 2023 में ओला एस-1 प्रो (प्रथम जनरेशन) इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदा था। कंपनी ने इस स्कूटर को उन्नत फीचर्स से लैस ‘स्मार्ट सवारी’ के रूप में पेश किया था। इसमें की-लेस स्टार्ट, मोबाइल ऐप के जरिए नियंत्रण, बैटरी स्टेटस ट्रैकिंग, रोड साइड असिस्टेंस और ओला केयर प्लस प्लान जैसी सेवाएं देने का वादा किया गया था।
लेकिन खरीद के कुछ ही दिनों में यह ‘हाईटेक सवारी’ उपभोक्ता के लिए रोज़ की परेशानी बन गई। स्कूटर की स्क्रीन हैंग होने लगी, वाहन स्टार्ट नहीं होता, वाई-फाई और ब्लूटूथ जैसे कनेक्टिविटी फीचर्स काम नहीं करते, और सबसे बड़ी बात – बीच सड़क पर बार-बार बंद हो जाता। ऐसे में उपभोक्ता को खुद ही स्कूटर सर्विस सेंटर तक ले जाना पड़ता।
परेशान उपभोक्ता, असहाय सेवा
परिवादी ने शिकायत में बताया कि कई बार वाहन की शिकायत करने पर कंपनी की ओर से कहा गया कि रोड साइड असिस्टेंस सुविधा उपलब्ध नहीं है। मजबूरन उन्हें वाहन खींचकर सर्विस सेंटर पहुंचाना पड़ता। कभी टायर की हवा निकल जाती तो पंचर के नाम पर हर बार 100 रुपये की जबरन वसूली की जाती।
एक बार तो हालत ये हो गई कि टीटी नगर स्टेडियम के पास स्कूटर पूरी तरह बंद हो गया। स्कूटर की साइड लॉक लगी होने से वह धकेलने योग्य भी नहीं रहा। 6 घंटे तक इंतजार करने के बाद पिकअप वाहन आया। इस दौरान परिवादी के साथ उनका 6 महीने का बच्चा भी भूखा-प्यासा परेशान होता रहा।
आयोग ने कमिश्नर नियुक्त कर जांच कराई
आयोग ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए अधिवक्ता प्रणय सक्सेना को कमिश्नर नियुक्त किया, जिन्होंने मौके पर स्कूटर की स्थिति जांची। जांच में यह पाया गया कि वाहन 95 प्रतिशत चार्ज होने के बावजूद स्टार्ट नहीं हो रहा था। टेक्नीशियन ने सभी तकनीकी उपाय अपनाए, लेकिन स्कूटर चालू नहीं हुआ।
आयोग ने इसे गंभीर तकनीकी खामी मानते हुए माना कि उपभोक्ता को जो स्कूटर दिया गया था, वह विश्वसनीय उपयोग के लायक नहीं था। साथ ही, यह भी सामने आया कि कंपनी शिकायतों का कोई दस्तावेजी रिकॉर्ड (जॉब कार्ड) भी उपभोक्ता को नहीं देती थी, जिससे उपभोक्ता के पास अपनी शिकायतों को प्रमाणित करने का कोई पुख्ता आधार नहीं था।
कंपनी की दलीलों को खारिज किया आयोग
ओला इलेक्ट्रिक की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया कि वाहन में कुछ तकनीकी समस्याएं थीं, जिन्हें रिबूट या रिसेट कर ठीक किया गया। स्क्रीन भी बदली गई। लेकिन यह तर्क आयोग को संतोषजनक नहीं लगा। आयोग ने माना कि वाहन में समस्याएं बार-बार आती रहीं, जिससे यह साफ होता है कि वाहन में तकनीकी स्तर पर स्थायी खामी थी।
आयोग ने यह भी माना कि उपभोक्ता को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ा और कंपनी द्वारा दी गई गारंटी और वादे महज़ औपचारिकता साबित हुए।