Jun 1, 2025
बालाघाट की सादगी भरी बारात: बैलगाड़ी, बांसुरी और रीतियों से सजी एक यादगार शादी
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के आगरवाड़ा गांव में एक पारंपरिक शादी ने आधुनिक चकाचौंध और दिखावे के बीच संस्कृति की एक नई मिसाल पेश की। जहां आजकल डीजे, लाइटिंग और भारी खर्चों के साथ शादियां होती हैं, वहीं इस शादी में दूल्हे ने बैलगाड़ी से बारात निकाली और बारातियों ने बांसुरी और डपली की धुन पर नृत्य कर पुराने जमाने की याद ताजा कर दी। इस आयोजन ने न सिर्फ सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का संदेश दिया, बल्कि फिजूलखर्ची से दूर रहकर सादगी और अपनत्व का भी अनूठा उदाहरण पेश किया।
आधुनिकता में खोती जा रही संस्कृति
आज की शादियों में डीजे का शोर, लाइटिंग का जलवा और होटल-रिसोर्ट का दिखावा आम हो चला है। ऐसे आयोजनों में अपनापन कहीं खो जाता है। जबकि पहले शादियां सामाजिक सहयोग, सांस्कृतिक रस्मों और सौहार्द की मिसाल हुआ करती थीं।
बैलगाड़ी से निकली बारात बनी चर्चा का विषय
इस शादी में दूल्हा निलेश ठाकरे बैलगाड़ी से बारात लेकर निकले। बारात गांव आगरवाड़ा से खड़गपुर तक 10 किलोमीटर की यात्रा तय करती है। दर्जनों बैलगाड़ियाँ, सजाए गए बैल और पारंपरिक वेशभूषा में निकली बारात ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसे देख ऐसा लग रहा था मानो किसी राजा की शाही सवारी निकल रही हो।
बांसुरी, डपली और पारंपरिक नृत्य की वापसी
बारात में डीजे की जगह बांसुरी और डपली की मधुर धुन सुनाई दी। एक कलाकार भरतलाल मेश्राम ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य कर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने बताया कि आधुनिकता के चलते ऐसी कला अब गुमनामी में जा चुकी है, लेकिन इस शादी ने उन्हें फिर से मंच दिया।
पांच दिन तक चला विवाह समारोह
जहां आजकल शादियां एक-दो दिन में निपटा दी जाती हैं, वहीं इस शादी का आयोजन पूरे पांच दिनों तक चला। रीति-रिवाजों के अनुसार हर रस्म निभाई गई, जिससे ना सिर्फ परिवार बल्कि गांव के लोग भी भावनात्मक रूप से जुड़े रहे।
सादगी से मिला बड़ा संदेश
दूल्हे के पिता रोशनलाल ठाकरे ने बताया कि सादगी से की गई यह शादी खर्चीले आयोजनों पर सवाल उठाती है। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को अपनाते हैं और दिखावे से दूर रहते हैं, तो शादी एक यादगार और आत्मीय अनुभव बन जाती है। इस आयोजन ने समाज को एक प्रेरणादायक संदेश दिया है।