May 5, 2025
यहां लाल नहीं, सफेद पहन विदा होती हैं दुल्हनें !मध्यप्रदेश के भीमडोंगरी गांव की अनोखी परंपरा, जहां शादी में 'शोक का रंग' कहलाने वाला सफेद होता है शुभता का प्रतीक
जब विदाई में लाल नहीं, सफेद लिबास पहनती है दुल्हन
भारत में शादी का मतलब है शुभता, उल्लास और रीति-रिवाजों की एक लंबी श्रृंखला। आमतौर पर दुल्हनें लाल जोड़ा पहनकर विदा होती हैं, क्योंकि लाल रंग को सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश के मंडला जिले के भीमडोंगरी गांव में ये परंपरा पूरी तरह उलट है।
यहां की नई नवेली दुल्हन लाल नहीं, बल्कि सफेद रंग की साड़ी पहनकर विदा होती हैं — वो भी विधवा जैसा लिबास में। जो कोई भी पहली बार देखता है उसके लिए ये दृश्य किसी शोक की तरह लग सकता है, लेकिन इस परंपरा के पीछे छिपा है गहरा सांस्कृतिक संदेश।
सफेद है शुभता और नए जीवन की शुरुआत का रंग
भीमडोंगरी गांव में रहने वाले लोग गौंडी धर्म को मानते हैं, जिसमें सफेद रंग को शुद्धता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। यहां शादी के दिन न केवल दुल्हन, बल्कि दूल्हा और परिवार के अन्य सदस्य भी सफेद कपड़े पहनते हैं।
माता-पिता स्वयं बेटी को सफेद साड़ी पहनाकर उसकी विदाई करते हैं। उनके लिए यह रंग किसी शोक का नहीं, बल्कि एक नए जीवन अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है।

फेरे भी होते हैं दो जगहों पर
यहां शादी की रस्में भी उतनी ही अलग हैं जितना दुल्हन का परिधान। दुल्हन के गांव में चार फेरे लिए जाते हैं और शेष तीन फेरे दूल्हे के गांव जाकर पूरे किए जाते हैं। इससे यह संदेश जाता है कि विवाह सिर्फ एक परिवार नहीं, बल्कि दोनों परिवारों की साझेदारी है।
सांस्कृतिक विविधता की मिसाल
भारत की असली खूबसूरती उसकी विविधता में है — हर गांव, हर समाज की अपनी परंपरा है। भीमडोंगरी गांव की यह परंपरा इस बात का प्रमाण है कि किसी रंग की अहमियत, समाज की सोच और आस्था से जुड़ी होती है।
यह परंपरा न सिर्फ चौंकाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि संस्कार और संस्कृति का रंग कभी एक जैसा नहीं होता, पर उसकी गहराई हर जगह एक जैसी होती है।